सावन के सोमवार का महत्व सावन में होंगे चार सोमवार श्रावण पूजा का महात्म्य

           सावन के सोमवार का महत्व        



  

सावन के सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। सोमवार का व्रत करने से भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सावन का महीना भगवान शिव को अतिप्रिय होता है, जिस वजह से इस माह के सोमवार का महत्व सबसे अधिक होता है। 

 

सावन में होंगे चार सोमवार 

पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार श्रावण मास में इस बार चार सोमवार पड़ेंगे। 


पहला सोमवारः 26 जुलाई को श्रावण मास का पहला सोमवार है। इस दिन धन प्रदाता धनिष्ठा नक्षत्र, सौभाग्य के बाद शोभन योग, वरियानऔर महाशुभ नामक औदायिक योग है। इस दिन के व्रत से आर्थिक लाभ और दरिद्रता का शमन होगा। 


  दूसरा सोमवारः दो अगस्त को श्रावण मास का दूसरा सोमवार है। इस दिन कृतिका के बाद रोहिणी नक्षत्र, वृद्धि योग, गर करण और सुस्थिर नामक औदायिक योग है। चंद्रमा उच्चाभिलाषी है। इस दिन के व्रत से स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति एवं संतान पक्ष के अभ्युदय का योग मिलेगा।


तीसरा सोमवारः नौ अगस्त को श्रावण मास का तीसरा सोमवार है। इस दिन श्लेषा के बाद मघा नक्षत्र, वरियान योग, किंस्तुघ्न करण और औदायिक योग सौम्य का मान है। इस दिन के व्रत से पुण्य की अभिवृद्धि और पूर्वाजित पापों का क्षय होगा।


चौथा सोमवारः 16 अगस्त को श्रावण मास का तीसरा सोमवार है। इस दिन अनुराधा नक्षत्र, ब्रह्म योग, वरियान और मानस नाम का औदायिक योग है। इस दिन के व्रत से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होगा। 




 श्रावण पूजा का महात्म्य

ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार श्रावण में एक महीने तक शिवालयों में स्थापित, प्राणप्रतिष्ठित शिवलिंग या धातु से निर्मित लिंग का गंगाजल व दुग्ध से रूद्रभिषेक करें। यह शिव को अत्यंत प्रिय है। वहीं उत्तरवाहिनी गंगाजल, पंचामृत का अभिषेक भी महाफलदायी है। कुशोदक से व्याधि शांति, जल से वर्षा, दही से पशुधन, ईख के रस से लक्ष्मी, मधु से धन, दूध से एवं एक हजार मंत्रों सहित घी की धारा से भगवान शिव का अभिषेक पुत्र व यश वृद्धि होती है।

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